स्वीकृति दी मैंने आज
तुम्हारे हृदय को
मेरे हृदय्-स्पंदन
के साथ थिरकने की
स्वीकृति दी मैंने आज
तुम्हारे स्म्रृति को
मेरे रक्तिम स्वर्ण गंगा
में बहने की
स्वीकृति दी मैंने आज
तुम्हारी आत्मा को
मेरे अंत:करण के
तल में उतरने की
स्वीकृति दी मैंने आज
तुम्हारे स्वर को
मेरे अपूर्ण रचित राग
में अंतिम श्रुति बनने की
स्वीकृति दी मैंने आज
तुम्हारे मन को
मेरे व्यथित मन के
पीडा को हरने की
है मेरे जीवन का ये
अनमोल क्षण कि
स्वीकृति दी मैंने आज
अपने आपको तुम्हे
अर्पण करने की
No comments:
Post a Comment