Wednesday, May 9, 2018

स्वीकृति- कविता,

कविता एक गहरी आत्मीयता और समर्पण की भावना से भरी हुई हैजैसे किसी आत्मा ने दूसरी आत्मा को पूर्ण रूप से स्वीकार कर लिया हो। मैंने आपकी मूल भावना को बनाए रखते हुए इसे थोड़ा तराशा है ताकि प्रवाह और भाव और भी स्पष्ट हो सकें:

 

स्वीकृति दी मैंने आज
तुम्हारे हृदय को
मेरे हृदय-स्वर में
थिरकने की स्वीकृति दी मैंने आज।

तुम्हारी स्मृति को
मेरे रक्तिम स्वर्ण-गंगा में
बहने की स्वीकृति दी मैंने आज।

तुम्हारी आत्मा को
मेरे अंत:करण की गहराइयों में
उतरने की स्वीकृति दी मैंने आज।

तुम्हारे स्वर को
मेरे अपूर्ण रचित राग की
अंतिम श्रुति बनने की स्वीकृति दी मैंने आज।

तुम्हारे मन को
मेरे व्यथित मन की पीड़ा
हरने की स्वीकृति दी मैंने आज।

यह मेरे जीवन का
एक अनमोल क्षण है
कि स्वीकृति दी मैंने आज
अपने आपको
तुम्हें अर्पण करने की।

 



No comments:

Post a Comment


आपकी प्रतिक्रिया और सुझाव