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Sunday, March 21, 2010

जीवन मरण मत देखिए.

सिवा अपने इस जगत का आचरण मत देखिए.
काम अपना है तो औरों की शरण मत देखिए.
होती हैं हर पुस्तक में ज्ञान की बातें भरी,
खोलकर पढ़िए भी इसको आवरण मत देखिए.
कंटकों के बीच खिल सकता है कोई फूल भी,
समझने में व्यक्ति को वातावरण मत देखिए.
लक्ष्य पाना है तो सुख की कल्पनाएं छोड़ दो,
लक्ष्य ही बस देखिए आहत चरण मत देखिए.
यदि समझना चाहते हो जगत के ध्रुवसत्य को
आत्मा को देखिए जीवन मरण मत देखिए.



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