अनुभव से पूर्ण
उसने कहा- बेटा
अब तुम बड़े हो गए हो
अब तुम सच बोलना छोड़ दो ।
तुम्हें आगे बढ़ना है
और वो रास्ता
जो पीछे की ओर खुलता है
उस पर चलो
सीधे चलते जाना
रास्ते पर कोई खड़ा हो
अगर तुमसे पहले
उसके पीछे मत लगना
गिरा देना उसको
चाहे जैसे भी ।
बेटा, अब तुम्हें
दया-करुणा भूला देनी चाहिए
अब तुम बच्चे नहीं रहे
कुछ सीखो
ज़माने के दस्तूर हैं
सब दौड़ रहे हैं
दूसरे के कंधों पर सवार होकर ।।
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