एक बार एक प्रयोग के तहत एक चीता को कुछ रेस डॉग्स के साथ दौड़ में शामिल किया गया। जैसे ही दौड़ शुरू हुई, सभी कुत्ते दौड़ पड़े, लेकिन चीता एक जगह शांत बैठा रहा। दर्शक हैरान थे—
क्या चीता डर
गया? थक गया? या
उसे दौड़ में कोई
रुचि नहीं थी?
प्रशिक्षक
ने मुस्कुराते हुए कहा:
“चीता
को अपनी श्रेष्ठता साबित
करने के लिए दौड़ने
की ज़रूरत नहीं है।”
यह घटना हमें एक
गहरी सीख देती है—हर बार प्रतिस्पर्धा करना ज़रूरी नहीं होता।
🌟 सीख जो हमें इस कहानी से मिलती है:
- अपनी काबिलियत को पहचानिए
हर बार खुद को साबित करने की ज़रूरत नहीं होती। आपकी योग्यता, अनुभव और आत्मविश्वास खुद ही बोलते हैं। - हर चुनौती के पीछे मत भागिए
कुछ लड़ाइयाँ लड़ने लायक नहीं होतीं। अपनी ऊर्जा उन कामों में लगाइए जो आपके लक्ष्य से मेल खाते हों। - शांति भी ताकत होती है
कभी-कभी सबसे प्रभावशाली जवाब होता है—कोई जवाब नहीं। आपकी गरिमा और आत्मसंयम ही आपकी पहचान बनते हैं।
💬 निष्कर्ष:
आज की दुनिया में
जहाँ हर कोई खुद
को साबित करने की दौड़
में लगा है, वहाँ
हमें चीता की तरह
बनना चाहिए—शांत, केंद्रित और आत्मविश्वासी।
कभी-कभी सबसे तेज़ दौड़ने वाला वो होता है जो दौड़ता ही नहीं।