Wednesday, October 3, 2018

प्यार-प्यार सा मिल जाना।

कविता बेहद कोमल, भावनाओं से भरी और लयात्मक हैजैसे प्रेम की हर छोटी-छोटी अनुभूति को शब्दों में पिरो दिया गया हो। मैंने आपकी मूल भावनाओं को सहेजते हुए इसे थोड़ा तराशा है ताकि प्रवाह और सौंदर्य और भी निखर सके:

 

हल्के-हल्के हाथों से तुम्हारा
हल्का-हल्का वो सहलाना,
बहके-बहके मौसम में हमारा
धीरे-धीरे बहक जाना।

ठंडी-ठंडी साँसों में तुम्हारा
ठंडा-ठंडा वो जादू,
भीगी-भीगी बातों में मेरा
भीगा-भीगा अफ़साना।

प्यारे-प्यारे जज़्बातों में तुम्हारा
प्यारा-प्यारा खिल जाना,
ख्वाब-ख्वाब सी चाँदनी में
ख्वाब-सा हो जाना।

रात-रात की तन्हाई में हमारा
रात-रात भर ना सोना,
कली-कली की ख़ुशबू में मेरा
कली-कली सा बिखर जाना।

प्यार-प्यार की बातों में हमारा
प्यार-प्यार सा मिल जाना।