कविता
बेहद कोमल, भावनाओं से भरी और
लयात्मक है — जैसे प्रेम
की हर छोटी-छोटी
अनुभूति को शब्दों में
पिरो दिया गया हो।
मैंने आपकी मूल भावनाओं
को सहेजते हुए इसे थोड़ा
तराशा है ताकि प्रवाह
और सौंदर्य और भी निखर
सके:
हल्के-हल्के हाथों से तुम्हारा
हल्का-हल्का वो सहलाना,
बहके-बहके मौसम में
हमारा
धीरे-धीरे बहक जाना।
ठंडी-ठंडी साँसों में तुम्हारा
ठंडा-ठंडा वो जादू,
भीगी-भीगी बातों में
मेरा
भीगा-भीगा अफ़साना।
प्यारे-प्यारे जज़्बातों में तुम्हारा
प्यारा-प्यारा खिल जाना,
ख्वाब-ख्वाब सी चाँदनी में
ख्वाब-सा हो जाना।
रात-रात की तन्हाई में हमारा
रात-रात भर ना
सोना,
कली-कली की ख़ुशबू
में मेरा
कली-कली सा बिखर
जाना।
प्यार-प्यार की बातों में हमारा
प्यार-प्यार सा मिल जाना।