हम मुश्किलों से टकराकर मुक़द्दर बनाएँगे,
जहाँ गिरती हैं बिजलियाँ, वहीं आशियाँ बसाएँगे।
राह में जो आएँगे पत्थर, रुकावट नहीं बनेंगे —
हम ठोकरों से उन्हें रेत में बदल जाएँगे।
हर आँधी से कह देंगे — अब डर नहीं लगता,
हमने तूफ़ानों में भी दीपक जलाए हैं।
छाँव की चाह नहीं अब हमें,
हमने धूप में चलकर रास्ते बनाए हैं।
जो आज हँसते हैं हमारी कोशिशों पर,
कल वही तालियाँ बजाएँगे।
हम अपनी मेहनत से वो मंज़िल पाएँगे —
जिसे किस्मत भी सलाम ठोकने आएगी।