पीछे दौड़ने  को है, हजार खवाहिशे, हजार सपने
कुछ सपने  पूरे नहीं होते, कुछ हो नहीं  पाते
सब कुछ पाकर  भी क्या करोगे ?
तुम अपनी  जिंदगी में अपनी  तरह क्यूँ नही  रहते ?
महँगे मोबाइल,कार, फ्लैट,प्रॉपर्टी  इक़ठठा करना
इन्क्रीमेंट, बोनस का  हिसाब लगाते रहना
शेयरों के  दाम की जाँच कब  तक करोगे ?
जो इन सब से  दूर ले जाए, वो नौकरी  क्यूँ नहीं करते  ?
लेकिन तुम्हारी  अपनी जिंदगी क्या  किसी फिल्म से  कम है,
कभी थोड़ा  वक़्त निकाल कर,
तुम अपनी  कोई सच्ची कहानी  क्यूँ नही कहते ?  
फेसबुक में  पोस्ट अपलोड करते  हो
जिंदगी में  हमेशा लोड लेकर  रहते हो
सोमवार - वीकेंड  के लिए बस 5 दिन और
ऐसे ऐसे चुटकले  बार-बार कहते हो
हर साल वही  पुरानी बाते, कहानिया  है
           बची जिंदगी  में नई कहानी क्यूँ  नहीं लिखते ?
No comments:
Post a Comment
आपकी प्रतिक्रिया और सुझाव