अंजन.... कुछ दिल से
अपनी वैचारिक प्रतिबद्धता और जीवन-कर्म के बीच की दूरी को निरंतर कम करने की कोशिश का संघर्ष....
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Wednesday, May 22, 2013
कभी साहिल रही .
शुक्र है, हिम्मत मेरी , इस काबिल रही
वजूद की लड़ाई में, हमेशा शामिल रही
अक्सर,मेरे साथ कमजोरियों,पे तनकीत है
जिंदगी कभी मझदार, तो कभी साहिल रही .
अंजन कुछ दिल से
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