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Monday, December 5, 2011

विराट है सचिन से बेहतर


एक ऐसे समय में जबकि इंडियन क्रिकेटर के कई सितारे अस्त होने को हैंविराट कोहली के रूप में एक नया सितारा चमकने की तैयारी कर चुका है। शायद साल भर पहले मैं ऐसी घोषणा करने से हिचकताक्योंकि तब विराट का मच्योर अवतार नहीं हुआ था। तब मैदान में उसके खेल और मैदान से बाहर उसके बर्ताव में थोड़ी अपरिपक्वता दिखाई देती थी। मगर दोनों ही मामलों में विराट अतीत को पीछे छोड़ आए हैं।

 

जिन लोगों ने दिल्ली के क्रिकेट को फॉलो किया हैउनके लिए विराट की ग्रोथ बहुत सहज है क्योंकि किशोरावस्था से ही उनमें कुछ खास दिखने लगा था और अंडर-15, अंडर-17 व फिर अंडर-19 के आयु वर्ग में उन्होंने लगातार अच्छा परफॉर्म किया। विराट मानसिक रूप से कितने मजबूत हैं,यह उनकी रणजी टूर्नामेंट की एक अविस्मरणीय पारी से मालूम चलता है।

 

विराट के पिता का देहांत हो गया था और विराट दिल्ली को हार के संकट से उबारने के लिए मैदान में जूझ रहे थे। विराट के कोच राजकुमार शर्मा का कहना हैउस दिन वह ऑस्ट्रेलिया में थे। विराट को फोन आया और उसने रोते हुए बताया कि पिता का देहांत हो गया है और मैं अभी खेल रहा हूं। कल भी खेलूं या नहीं। मैंने उसे कहा कि यही समय है जब अपना करैक्टर दिखा सकते हो। अगले दिन भी उसका फोन आया। वह तब भी रो रहा था। उसने मुझे बताया कि उसे 93 रन के स्कोर पर अंपायर ने गलत आउट दे दिया।

 

विराट कोहली को नैशनल फेम मिली अंडर-19 वनडे वर्ल्ड कप जीतने के बादजहां वह देश की कप्तानी कर रहे थे और इसके कुछ ही महीनों बाद उन्हें टीम इंडिया से वनडे मैच खेलने का मौका भी मिला। यह वह समय था जब आईपीएल शुरू ही हुआ था। विराट को वहां भी अपना खेल दिखाने का मौका मिला। उस पर अचानक धन और यश की बरसात शुरू हो गई। ऐसे में कॉलर भी उठ गए। गाड़ी खरीद ली गई। उसमें बाकायदा महंगे स्पीकर भी फिट हो गए। रईस घरों के बच्चे जैसे बिगड़ते हैंपीनापार्टी का दौर शुरू हो गया। कोच राजकुमार शर्मा बताते हैं कि उस दौर में एक दो बार पिटाई करने की नौबत भी आ गई थी क्योंकि परफॉर्मेंस खराब होने लगा था।

 

विराट को पहला झटका जल्दी लगा और उन्हें टीम इंडिया से बाहर होना पड़ा। तब उन्होंने तीन साल पहले विजय हजारे ट्रोफी में तीन लगातार सेंचुरीज समेत सात मैचों में चार सेंचुरीज ठोक दी। यहीं से वापसी का दौर भी शुरू हुआ। इस परफॉर्मेंस के बूते पर उन्हें दोबारा टीम इंडिया में जगह मिली और आज वनडे में विराट का रेकॉर्ड कुछ मामलों में सचिन से भी अच्छा है। वह 23 साल की उम्र तक चेज करते हुए पांच सेंचुरीज मार चुके हैंजबकि सचिन ने इस उम्र तक सिर्फ चार ही सेंचुरीज मारी थी।

 

सचिन ने अपनी पहली सेंचुरी 79 मैच बाद मारी थीजबकि विराट 71 मैच खेलकर ही आठ सेंचुरीज मार चुके हैं। यह सब संभव हुआ क्योंकि विराट ने उस रास्ते पर चलने से इनकार कर दियाजो रास्ता बर्बादी की ओर जाता था। उन्होंने कॉलर नीचे किए और पार्टियां तुरंत बंद कर दीं। अपने कोच की शरण में जाकर और ज्यादा पसीना बहाना शुरू किया। जितनी तेजी से उनका पतन शुरू हुआ थाउससे तेज उनका उत्थान हुआजल्दी आए दुरुस्त आए!

साभार : सुंदरचंद ठाकुर   Monday December 05, २०११ नवभारत  टाइम्स     

1 comment:

Anonymous said...

बहुत खूब ! सही बात है !

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