जल गया अपना नशेमन तो कोई बात नहीं
देखना ये है कि अब आग किधर लगती है
देखना ये है कि अब आग किधर लगती है
लम्हे-लम्हे में बसी है तिरी यादों की महक
आज की रात तो खुशबू का सफ़र लगती है
आज की रात तो खुशबू का सफ़र लगती है
क़ोशिशें मुझको मिटाने की मुबारक़ हों मगर
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मिटते-मिटते भी मैं मिटने का मज़ा ले जाऊंगा
शोहरतें जिनकी वजह से दोस्त-दुश्मन हो गए
सब यहीं रह जाएंगी मैं साथ क्या ले जाऊंगा
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जल गया अपना नशेमन तो कोई बात नहीं
देखना ये है कि अब आग किधर लगती है
-आप तो जाँ निसार अख़्तर तक जा पहुँचे जनाब!!
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