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Monday, September 13, 2010

हिन्दी-दिवस की आप सभी को बधाई।

हिन्दी-दिवस की आप सभी को बधाई। १४ सितम्बर १९४९ को संविधान में हिन्दी को राष्ट्र भाषा स्वीकार किया गया था।
संसार के जितने भी राष्ट्र हैं सब अपनी भाषा को प्राथमिकता देते हैं और हम अपनी भाषा बोलने और सीखने में शर्म का अनुभव करते हैं। इसका भयानक परिणाम मैं नई पीढ़ी में देख रही हूँ। जो ना हिन्दी ठीक से पढ़ सकता है ना लिख सकता। और अंग्रेजी में पारंगत है। दोषी नई पीढ़ी नहीं दोषी हम लोग हैं। हमने उनको अपनी भाषा के संस्कार ही कहाँ दिए। हमने उसे अंग्रेजी बोलने के लिए ही प्रेरित किया। उसे कभी हिन्दी की विशेषताएँ नहीं बताई।
हमारी हिन्दी भाषा संसार की सर्वोत्तम भाषा है। इसकी वैग्यानिकता इसकी सबसे बड़ी विशेषता है। जैसे बोली जाती है वैसे ही लिखी जाती है। तर्क संगत है। सुमधुर और सरल है। भूमावृति के कारण नित्य नवीन शब्दों को जन्म देने वाली है। एक-एक शब्द के कितने ही पर्याय वाची हैं। हर शब्द का सटीक प्रयोग होता है। अलग-अलग संदर्भों में एक ही शब्द नहीं , अलग-अलग शब्द हैं।
समन्वय की प्रवृति के कारण दूसरी भाषाओं के शब्दों को जल्दी ही अपने में समा लेती है। माँ के समान बड़े प्यार से सबको अपने आँचल में समा लेती है। यही कारण हैकि दूसरी भाषाओं के शब्द यहाँ आकर इसीके हो जाते हैं। फिर भी हम इसका लाभ नहीं उठा पा रहे। यह हमारा दुर्भाग्य ही तो है।
आज विश्व के अनेक देश हिन्दी के महत्व को समझ रहे हैं। इसके शिक्षण की व्यवस्था कर रहे हैं, गोष्ठियाँ कर रहे हैं और हम इसकी उपेक्षा कर रहे हैं।
हिन्दी-दिवस के अवसर पर मैं अपने देश वासियों को यही संदेश देना चाहूँगी कि यदि अपने स्वाभिमान और अपनी अस्मिता को बचा कर रखना है तो अपनी भाषा को महत्व देना सीखो। इसे ग्यान-विग्यान का वाहक बनाओ तथा इसमें संचित कोष का लाभ उठाओ। अपनी भाषा सीखो यही तुमको उन्नति दिलाएगी
यदि अपनी माँ भिखारिन रही तो पराई भी कुछ नहीं दे पाएगी।
जय भारत।

हिन्दी दिवस

हिन्दी दिवस प्रत्येक वर्ष १४ सितम्बर को मनाया जाता है। १४ सितंबर १९४९ को संविधान सभा ने एक मत से यह निर्णय लिया कि हिन्दी ही भारत की राजभाषा होगी । इसी महत्वपूर्ण निर्णय के महत्व को प्रतिपादित करने तथा हिन्दी को हर क्षेत्र में प्रसारित करने के लिये राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा के अनुरोध पर सन् १९५३ से संपूर्ण भारत में १४ सितंबर को प्रतिवर्ष हिन्दी-दिवस के रूप में मनाया जाता है।

स्वतन्त्र भारत की राजभाषा के प्रश्न पर काफी विचार-विमर्श के बाद यह निर्णय लिया गया जो भारतीय संविधान के भाग १७ के अध्याय की धारा ३४३(१) में इस प्रकार वर्णित है:

संघ की राज भाषा हिन्दी और लिपि देवनागरी होगी । संघ के राजकीय प्रयोजनों के लिए प्रयोग होने वाले अंकों का रूप अंतर्राष्ट्रीय रूप होगा ।
हिंदी की महिमा
ND
संस्कृत और हिंदी देश के दो भाषा रूपी स्तंभ हैं जो देश की संस्कृति, परंपरा और सभ्यता को विश्व के मंच पर बखूबी प्रस्तुत करते हैं। आज विश्व के कोने-कोने से विद्यार्थी हमारी भाषा और संस्कृति को जानने के लिए हमारे देश का रुख कर रहे हैं।

हिंदी भाषा को हम राष्ट्र भाषा के रूप में पहचानते हैं। हिंदी भाषा विश्व में सबसे ज़्यादा बोली जाने वाली तीसरी भाषा है। विश्व में 500 से 600 मिलियन लोग हिंदी भाषी हैं

देश के गुलामी के दिनों में यहाँ अँग्रेज़ी शासनकाल होने की वजह से, अँग्रेज़ी का प्रचलन बढ़ गया था। लेकिन स्वतंत्रता के पश्चात देश के कई हिस्सों को एकजुट करने के लिए एक ऐसी भाषा की ज़रूरत थी जो सर्वाधिक बोली जाती है, जिसे सीखना और समझना दोनों ही आसान हों

इसके साथ ही एक ऐसी भाषा की तलाश थी जो सरकारी कार्यों, धार्मिक क्रियाओं और राजनीतिक कामों में आसानी से प्रयोग में लाई जा सके। हिंदी भाषा ही तब एक ऐसी भाषा थी जो सबसे ज़्यादा लोकप्रिय थी।
  संस्कृत और हिंदी देश के दो भाषा रूपी स्तंभ हैं जो देश की संस्कृति, परंपरा और सभ्यता को विश्व के मंच पर बखूबी प्रस्तुत करते हैं। आज विश्व के कोने-कोने से विद्यार्थी हमारी भाषा और संस्कृति को जानने के लिए हमारे देश का रुख कर रहे हैं।      


हिंदी भाषा को एकजुटता का माध्यम बनाने के लिए सन् 1949 में एक एक्ट बनाया गया जो सरकारी कार्यों में हिंदी का प्रयोग अनिवार्य करने के लिए था

धीरे-धीरे हिंदी भाषा का प्रचलन बढ़ा और इस भाषा ने राष्ट्रभाषा का रूप ले लिया। अब हमारी राष्ट्रभाषा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी बहुत पसंद की जाती है। इसका एक कारण यह है कि हमारी भाषा हमारे देश की संस्कृति और संस्कारों का प्रतिबिंब है।

आज कई विदेशी छात्र हमारे देश में हिंदी और संस्कृत भाषाएँ सीखने आ रहे हैं। विदेशी छात्रों के इस झुकाव की वजह से देश के कई विश्वविद्यालय इन छात्रों को हमारे देश की संस्कृति और भाषा के ज्ञानार्जन के लिए सुविधाएँ प्राप्त करवा रहे हैं। विदेशों में हिंदी भाषा की लोकप्रियता यहीं खत्म नहीं होती। विश्व की पहली हिंदी कॉन्फ्रेंस नागपुर में सन् 1975 में हुई थी। इसके बाद यह कॉन्फ्रेंस विश्व में बहुत से स्थानों पर रखी गई
दूसरी कॉन्फ्रेंस- मॉरीशस में, सन् 1976 मेंतीसरी कॉन्फ्रेंस - भारत में, सन् 1983 मेंचौथी कॉन्फ्रेंस - ट्रिनिडाड और टोबैगो में, सन् 1996 में पाँचवीं कॉन्फ्रेंस - यूके में, 1999 मेंछठी कॉन्फ्रेंस - सूरीनाम में, 2003 में और सातवी कॉन्फ्रेंस - अमेरिका में, सन् 2007 में

हिंदी भाषा से जुड़े कुछ रोचक तथ्य :
* आपको यह जानकर भी आश्चर्य होगा कि हिंदी भाषा के इतिहास पर पहले साहित्य की रचना भी ग्रासिन द तैसी, एक फ्रांसीसी लेखक ने की थी

* हिंदी और दूसरी भाषाओं पर पहला विस्तृत सर्वेक्षण सर जॉर्ज अब्राहम ग्रीयर्सन (जो कि एक अँग्रेज़ हैं) ने किया

* हिंदी भाषा पर पहला शोध कार्य 'द थिओलॉजी ऑफ तुलसीदा' को लंदनClick here to see more news from this city विश्वविद्यालय में पहली बार एक अग्रेज़ विद्वान जे.आर.कार्पेंटर ने प्रस्तुत किया था।
 
 

Sunday, September 12, 2010

सतना शहर से एक और दैनिक अखबार ‘स्टार समाचार’

सतना शहर से एक और दैनिक अखबार 'स्टार समाचार' के प्रकाशन की तैयारी पूरी हो गई है। 17 सितंबर 2010 से अखबार अपने बुंदेलखंड, बघेलखंड एवं सतना संस्करण के साथ बाजार में आ जाएगा।

यह महत्वाकांक्षी अखबार वाहन व्यवसाय में अग्रणी स्टार ऑटोमोबाइल्स के मालिक रमेश सिंह ने शुरू किया है। सतना से अभी दैनिक भास्कर, नवभारत व नव स्वदेश अखबार प्रकाशित हो रहे हैं, जबकि रीवा का दैनिक जागरण, जबलपुर का राज एक्सप्रेस और वहीं से आने वाला नई दुनिया यहां अपने बड़े ब्यूरो कार्यालय डालकर सतना संस्करण प्रकाशित कर रहे हैं। मुख्य अखबार दैनिक भास्कर है जो पूरे इलाके में छाया हुआ है।

सही है एक अच्चा प्रयास !
सही बाते कहने का एक मंच !
सतना जैसे प्रगतिशील बढ़ते सहर में एक सही सुरुआत कहेगे !
रमेश सिंह  जी को
 मेरी शुभ कामनाये !