सूरज निकला और रात गई
अब जीने की ख्वाहिश क्या करना
मरने की तमन्ना कौन करे
जब प्यास बुझाने की खातिर
प्यासा पनघट को जाता है
ऐसे में प्यासा क्यों मरना
और... पानी-पानी कौन करे!...
यह कविता, "जो बीत गई सो बात गई", हरिवंश राय बच्चन द्वारा लिखी गई है। इस कविता में, कवि कहता है कि जो बीत गया है, उसे भूल जाना चाहिए और आगे बढ़ना चाहिए। जो समय चला गया है, उस पर दुखी होने का कोई मतलब नहीं है। कविता के दूसरे भाग में, कवि कहता है कि अब जीने की चाह क्या करनी है, क्योंकि मरने की इच्छा भी कोई नहीं करता।
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