अंजन.... कुछ दिल से

अपनी वैचारिक प्रतिबद्धता और जीवन-कर्म के बीच की दूरी को निरंतर कम करने की कोशिश का संघर्ष....

Pages

  • Home
  • My Facebook
  • Linkedin
  • X
  • YouTube
  • My Web Page

Thursday, February 25, 2010

Vidarbha Andolan







Post By VIVEK ANJAN SHRIVASTAVA at 7:46 PM No comments:
Email ThisBlogThis!Share to XShare to FacebookShare to Pinterest
Newer Posts Older Posts Home

परिचय

My photo
VIVEK ANJAN SHRIVASTAVA
B.E.(Hons.)Computer Science, MBA (HR),MIT,M.Tech. सीमेंट,फैक्ट्री , में AGM (I.T.) के रूप में कार्यरत। गद्य पद्य दोनों में रूचि मुख्यतः व्यंग, लघुकथा समसामयिक विषयों पर 2006 से कलम चल रही है, कविता के अतिरिक्त संगीत से प्रेम. जन-संपर्क, इन्टरनेट और ब्लोगिंग में विशेष रुचि | प्रकाशित कृतियाँ :अंजन ..कुछ दिल से ( कविता संग्रह )2012, संयुक्त काव्य संग्रह - अन्तर्मन 2013, विरासत 2018 युवा हस्ताक्षर 2019 , काव्य वीथिका 2021, दैनिक भास्कर,पत्रिका, नवभारत,किर्तिप्रभा,स्टार समाचार,प्रदेशटुडे,मारुती एक्सप्रेस, दैनिक जागरण आदि समाचार पत्रों एवं इन्टरनेट की साहित्यिक वेब पेज में लेख व कवितायेँ प्रकाशित हो चुकी है
View my complete profile

Blog Archive

  • ►  2025 (120)
    • ►  June (14)
    • ►  May (46)
    • ►  April (24)
    • ►  March (12)
    • ►  February (11)
    • ►  January (13)
  • ►  2024 (4)
    • ►  July (1)
    • ►  April (1)
    • ►  March (1)
    • ►  February (1)
  • ►  2023 (2)
    • ►  May (2)
  • ►  2022 (2)
    • ►  August (1)
    • ►  June (1)
  • ►  2021 (2)
    • ►  July (1)
    • ►  March (1)
  • ►  2020 (2)
    • ►  June (1)
    • ►  March (1)
  • ►  2019 (15)
    • ►  December (2)
    • ►  November (1)
    • ►  September (2)
    • ►  July (1)
    • ►  May (1)
    • ►  April (2)
    • ►  March (3)
    • ►  February (2)
    • ►  January (1)
  • ►  2018 (14)
    • ►  December (1)
    • ►  November (1)
    • ►  October (1)
    • ►  September (1)
    • ►  August (1)
    • ►  July (1)
    • ►  May (2)
    • ►  April (2)
    • ►  March (1)
    • ►  February (2)
    • ►  January (1)
  • ►  2017 (15)
    • ►  November (1)
    • ►  October (1)
    • ►  September (1)
    • ►  August (1)
    • ►  July (1)
    • ►  June (3)
    • ►  May (2)
    • ►  April (2)
    • ►  February (2)
    • ►  January (1)
  • ►  2016 (13)
    • ►  December (1)
    • ►  June (1)
    • ►  May (1)
    • ►  April (1)
    • ►  March (4)
    • ►  February (3)
    • ►  January (2)
  • ►  2015 (29)
    • ►  December (3)
    • ►  November (2)
    • ►  October (3)
    • ►  September (3)
    • ►  August (3)
    • ►  July (2)
    • ►  June (4)
    • ►  May (3)
    • ►  April (4)
    • ►  March (2)
  • ►  2014 (17)
    • ►  December (4)
    • ►  November (1)
    • ►  October (2)
    • ►  September (1)
    • ►  August (1)
    • ►  July (2)
    • ►  May (1)
    • ►  April (1)
    • ►  March (2)
    • ►  January (2)
  • ►  2013 (13)
    • ►  December (4)
    • ►  November (2)
    • ►  July (1)
    • ►  May (1)
    • ►  April (1)
    • ►  March (1)
    • ►  February (1)
    • ►  January (2)
  • ►  2012 (19)
    • ►  December (1)
    • ►  October (1)
    • ►  September (2)
    • ►  August (4)
    • ►  July (2)
    • ►  June (1)
    • ►  May (3)
    • ►  April (3)
    • ►  March (1)
    • ►  February (1)
  • ►  2011 (26)
    • ►  December (2)
    • ►  October (2)
    • ►  August (6)
    • ►  July (3)
    • ►  May (9)
    • ►  April (2)
    • ►  March (2)
  • ▼  2010 (83)
    • ►  December (1)
    • ►  November (11)
    • ►  September (3)
    • ►  August (2)
    • ►  June (13)
    • ►  May (29)
    • ►  April (12)
    • ►  March (10)
    • ▼  February (1)
      • Vidarbha Andolan
    • ►  January (1)
  • ►  2009 (121)
    • ►  December (1)
    • ►  November (7)
    • ►  October (7)
    • ►  September (8)
    • ►  August (15)
    • ►  July (34)
    • ►  June (47)
    • ►  May (2)

कुछ खास रचनाये

  • हिंदी भाषा के विकास में साहित्यकारों की भूमिका
    किसी भी भाषा समाज व संस्कृति का ज्ञान उसके साहित्य से होता है। साहित्य व साहित्यकार भाषा, संस्कृति व समाज को आगे बढाते हैं। राष्ट्रभाषा के...
  • हम सायादार पेड़ ज़माने के काम आये
    हम सायादार पेड़ ज़माने के काम आए जब सूखने लगे तो जलाने के काम आए तलवार की नियाम कभी फेंकना नहीं मुमकिन है दुश्मनों को डराने के काम आए कचा ...
  • Book Review: From Burnout to Balance: Redefining Work-Life Harmony by KVVYS Narayana
      Rating: ★★★★☆ (4/5) Overview:   From Burnout to Balance  by KVVYS Narayana is a compelling guide that addresses the critical issue of work...
  • नौकरी की वजह से कुंभ 2025 न जाने का दुख
    भारत में कुंभ मेला सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि आस्था, परंपरा और संस्कृति का महासंगम है। हर बारह साल में आने वाले इस महापर्व में करोड़...
  • निष्ठा से वो कर्म किये जा।
      कर्म तेरे अधिकार में केवल, कर्म किये जा तू कर्म किये जा, फल की इच्छा त्याग के अर्जुन पालन अपना धर्म किये जा। किस स्थिति में क्या धर्म है त...

Labels

  • गीत गजल कविता (51)
  • Health & Awareness (28)
  • literature Hindi sahitya साहित्य (22)
  • Job & Education (14)
  • Motivation & Life (13)
  • खेलकूद और स्वास्थ (9)
  • Technology & Learning (6)
  • Film & Movie (5)
  • आध्यात्म और पूजा पाठ (5)
  • कहानी लेख (5)
  • कुम्भ (5)
  • Travel & Blog (4)
  • इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) (2)
  • ध्यान (Meditation) & योग (2)
  • Film & Moview (1)
  • Health (1)
  • Moviews and OTT (1)
  • Technology (1)
  • परिवार और संबंध (1)

My Web Page

MY Web Page

Welcome Message

आपका स्वागत है 'अंजन.... कुछ दिल से' में! नमस्ते और इस ब्लॉग में आपका स्वागत है! 'अंजन.... कुछ दिल से' मेरा वह मंच है जहाँ मैं अपने विविध विचारों और अनुभवों को आपके साथ साझा करता हूँ। यहाँ आपको स्वास्थ्य संबंधी महत्वपूर्ण जानकारियाँ, परियोजना प्रबंधन के व्यावहारिक दिशानिर्देश, और समसामयिक विषयों पर मेरे व्यंग्य और लघुकथाएँ मिलेंगी। मैं गद्य और पद्य दोनों विधाओं में लिखता हूँ, और मेरा प्रयास रहता है कि हर लेख या कविता आपको कुछ नया दे। मुझे उम्मीद है कि आपको यहाँ कुछ ऐसा मिलेगा जो आपकी रुचि के अनुरूप हो। आपकी टिप्पणियाँ और सुझाव हमेशा सराहे जाएंगे। इस यात्रा में मेरे साथ जुड़ने के लिए धन्यवाद!

Wikipedia

Search results

Search This Blog

Followers

Featured Post

विकास के दो दृष्टिकोण: नितिन गडकरी जी का नागपुर और राजेंद्र शुक्ल जी का रीवा

  विकास के दो दृष्टिकोण: नितिन गडकरी जी का नागपुर और राजेंद्र शुक्ल जी का रीवा - एक विस्तृत विश्लेषण भारत में विकास की धाराएँ विभिन्न भौगोलि...

अंजन.... कुछ दिल से

अपनी वैचारिक प्रतिबद्धता और जीवन-कर्म के बीच की दूरी को निरंतर कम करने की कोशिश का संघर्ष....

Copyright © 2025 Vivek Anjan Shrivastava. All Rights Reserved.. Simple theme. Powered by Blogger.