Friday, October 24, 2025

🌞 छठ पूजा 2025: तिथि, विधि और महत्व

छठ पूजा उत्तर भारत का एक प्रमुख पर्व है जो सूर्य देव और छठी मैया को समर्पित होता है। यह पर्व दिवाली के छह दिन बाद मनाया जाता है और चार दिनों तक चलता है। इसमें व्रती महिलाएं कठिन नियमों का पालन करते हुए सूर्य को अर्घ्य देती हैं और संतान सुख, स्वास्थ्य और समृद्धि की कामना करती हैं।

📅 छठ पूजा 2025 की तिथियाँ

दिन

तिथि

विवरण

पहला दिन

25 अक्टूबर 2025 (शनिवार)

नहाय-खायव्रती स्नान कर सात्विक भोजन करते हैं और पूजा का संकल्प लेते हैं।

दूसरा दिन

26 अक्टूबर 2025 (रविवार)

खरनादिनभर उपवास और शाम को गुड़-चावल की खीर रोटी का प्रसाद। इसके बाद 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू होता है।

तीसरा दिन

27 अक्टूबर 2025 (सोमवार)

संध्या अर्घ्यडूबते सूर्य को अर्घ्य अर्पण किया जाता है।

चौथा दिन

28 अक्टूबर 2025 (मंगलवार)

उषा अर्घ्यउगते सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का पारण किया जाता है। [timesnowhindi.com], [prabhatkhabar.com], [hindi.oneindia.com]

 

🧘‍♀️ पूजा विधि

🔹 नहाय-खाय:

  • सूर्योदय से पहले स्नान करें (यदि संभव हो तो नदी में या गंगाजल मिलाकर घर में स्नान करें)
  • घर और रसोई की सफाई करें।
  • सात्विक भोजन बनाएं: कद्दू की सब्जी, चावल, चना दाल।
  • भोजन में लहसुन-प्याज और सामान्य नमक का प्रयोग करें; सेंधा नमक और शुद्ध घी का उपयोग करें।

🔹 खरना:

  • दिनभर उपवास रखें।
  • शाम को गुड़-चावल की खीर और रोटी का प्रसाद बनाएं।
  • प्रसाद ग्रहण करने के बाद 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू करें।

🔹 संध्या अर्घ्य:

  • पूजा सामग्री सिर पर रखकर घाट पर जाएं।
  • डूबते सूर्य को जल में खड़े होकर अर्घ्य दें।

🔹 उषा अर्घ्य:

  • अगली सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य दें।
  • व्रत का पारण करें और छठी मैया से सुख-समृद्धि की कामना करें।

 

🛍️ पूजा सामग्री सूची

गन्ना, कपूर, दीपक, अगरबत्ती, बाती, कुमकुम, चंदन, फूल, साबुत सुपारी, शहद, हल्दी, मूली, नारियल, अक्षत, अदरक का पौधा, केला, नाशपाती, शकरकंदी, सुथनी, मिठाई, पीला सिंदूर, घी, गुड़, गेहूं, चावल का आटा आदि। [timesnowhindi.com]

 

🙏 महत्व और संदेश

छठ पूजा केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि आत्मसंयम, शुद्धता और प्रकृति के प्रति सम्मान का प्रतीक है। यह पर्व हमें सिखाता है कि सूर्य, जल और अन्न जैसे प्राकृतिक तत्व हमारे जीवन के आधार हैं और इनका संरक्षण हमारा कर्तव्य है।

 

🎆 दिवाली के बाद क्या करें: सेहतमंद जीवनशैली की ओर पहला कदम

 दिवाली का त्योहार रोशनी, मिठाइयों और उल्लास से भरपूर होता है। लेकिन इस दौरान खान-पान और दिनचर्या में जो बदलाव आते हैं, वे शरीर पर असर डाल सकते हैं। इसलिए दिवाली के बाद खुद को फिर से संतुलित करना ज़रूरी है। आइए जानते हैं कि दिवाली के बाद क्या करें ताकि आपकी सेहत बनी रहे:

 

🥗 1. डिटॉक्स डाइट अपनाएं

त्योहारों में तले-भुने और मीठे खाद्य पदार्थों की अधिकता से शरीर में टॉक्सिन्स जमा हो जाते हैं। इन्हें बाहर निकालने के लिए डिटॉक्स डाइट अपनाना फायदेमंद होता है।

क्या करें:

  • दिन की शुरुआत गुनगुने नींबू पानी से करें
  • नारियल पानी, हर्बल चाय और ताज़े फलों का रस लें
  • हरी सब्जियाँ, सलाद और हल्का भोजन करें
  • चीनी और प्रोसेस्ड फूड से परहेज़ करें

 

🧘‍♀️ 2. नियमित व्यायाम फिर से शुरू करें

दिवाली की भागदौड़ में अक्सर व्यायाम छूट जाता है। अब समय है फिर से एक्टिव होने का।

क्या करें:

  • सुबह की सैर या योग करें
  • हल्की स्ट्रेचिंग और प्राणायाम से शुरुआत करें
  • सप्ताह में कम से कम 5 दिन 30 मिनट का व्यायाम करें

 

😴 3. नींद की नियमितता बनाए रखें

देर रात तक जागना और अनियमित नींद शरीर को थका देता है।

क्या करें:

  • रोज़ाना 7-8 घंटे की नींद लें
  • सोने और जागने का समय तय करें
  • सोने से पहले स्क्रीन टाइम कम करें

 

💧 4. शरीर को हाइड्रेट रखें

पानी शरीर से विषैले तत्वों को बाहर निकालता है और ऊर्जा बनाए रखता है।

क्या करें:

  • दिन में कम से कम 8-10 ग्लास पानी पिएं
  • फलों और सब्जियों से भी पानी की पूर्ति करें

 

🧠 5. मानसिक शांति और ध्यान

त्योहारों की चहल-पहल के बाद मानसिक विश्राम भी ज़रूरी है।

क्या करें:

  • रोज़ 10-15 मिनट ध्यान करें
  • गहरी साँस लेने की तकनीक अपनाएं
  • सकारात्मक सोच और आत्मचिंतन करें

 

🧹 6. घर और वातावरण की सफाई

पटाखों और सजावट के बाद घर में धूल और प्रदूषण बढ़ जाता है।

क्या करें:

  • घर की गहरी सफाई करें
  • पौधों और प्राकृतिक सजावट से वातावरण को ताज़ा करें
  • एयर प्यूरीफायर या प्राकृतिक वेंटिलेशन का उपयोग करें

 

📅 7. स्वास्थ्य जांच और योजना बनाएं

दिवाली के बाद स्वास्थ्य की स्थिति को समझना और आगे की योजना बनाना ज़रूरी है।

क्या करें:

  • सामान्य स्वास्थ्य जांच कराएं
  • अगले महीने के लिए फिटनेस और खान-पान की योजना बनाएं
  • परिवार के साथ हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाने की चर्चा करें

 

निष्कर्ष

दिवाली के बाद शरीर और मन को फिर से संतुलन में लाना ज़रूरी है। थोड़ी सी सावधानी, नियमितता और सकारात्मक सोच से आप केवल स्वस्थ रह सकते हैं, बल्कि आने वाले महीनों के लिए ऊर्जा और उत्साह से भर सकते हैं।

 

Thursday, October 23, 2025

✨ चित्रगुप्त पूजा: कर्मों के लेखा-जोखा का पर्व

  

भारत की धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं में चित्रगुप्त पूजा का विशेष स्थान है। यह पर्व विशेष रूप से कायस्थ समाज द्वारा मनाया जाता है, लेकिन इसके पीछे का संदेश और महत्व हर व्यक्ति के जीवन से जुड़ा हुआ है। यह पूजा दीपावली के बाद भाई दूज के दिन होती है और इसे यम द्वितीया भी कहा जाता है।

🕉️ चित्रगुप्त जी कौन हैं?

चित्रगुप्त जी को ब्रह्मा जी के मानस पुत्र माना जाता है। वे यमराज के सहायक हैं और प्रत्येक जीव के कर्मों का लेखा-जोखा रखते हैं। जब किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है, तो चित्रगुप्त जी उसके जीवन के अच्छे और बुरे कर्मों का विवरण यमराज को प्रस्तुत करते हैं, जिसके आधार पर आत्मा को स्वर्ग या नरक की प्राप्ति होती है।

उनका नाम दो शब्दों से मिलकर बना है:

  • चित्र: जिसका अर्थ है चित्र या रिकॉर्ड।
  • गुप्त: जिसका अर्थ है गुप्त या छिपा हुआ।

इस प्रकार, चित्रगुप्त वह देवता हैं जो हर व्यक्ति के कर्मों का गुप्त रूप से लेखा रखते हैं।

 

📜 पूजा का उद्देश्य और महत्व

चित्रगुप्त पूजा केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह आत्मनिरीक्षण और आत्मशुद्धि का अवसर है। इसके मुख्य उद्देश्य हैं:

  • अपने कर्मों की समीक्षा करना
  • सच्चाई, ईमानदारी और न्याय के मार्ग पर चलने का संकल्प लेना।
  • लेखन, शिक्षा, प्रशासन और न्याय से जुड़े लोगों के लिए यह पूजा विशेष रूप से महत्वपूर्ण मानी जाती है।

कायस्थ समाज, जो परंपरागत रूप से लेखन और प्रशासन से जुड़ा रहा है, इस दिन कलम-दवात की पूजा करता है और ज्ञान के क्षेत्र में सफलता की कामना करता है।

 

📅 पूजा की तिथि और परंपरा

चित्रगुप्त पूजा कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाई जाती है। यह दिन भाई दूज के रूप में भी जाना जाता है, जब बहनें अपने भाइयों को तिलक करती हैं और उनके दीर्घायु की कामना करती हैं।

इस दिन कायस्थ परिवारों में विशेष पूजा होती है, जिसमें चित्रगुप्त जी की प्रतिमा या चित्र की स्थापना की जाती है और कलम, दवात, रजिस्टर, कॉपी आदि की पूजा की जाती है।

 

🪔 पूजा विधि

चित्रगुप्त पूजा की विधि इस प्रकार है:

  1. स्नान और शुद्ध वस्त्र धारण कर पूजा स्थल को सजाया जाता है।
  2. चित्रगुप्त जी की प्रतिमा या चित्र को स्थापित किया जाता है।
  3. कलम, दवात, रजिस्टर, कॉपी आदि को पूजा में शामिल किया जाता है।
  4. धूप, दीप, पुष्प, चंदन, अक्षत और नैवेद्य से पूजा की जाती है।
  5. कर्मों की समीक्षा करते हुए अच्छे कर्मों का संकल्प लिया जाता है।
  6. प्रसाद में खीर, पूड़ी, मिठाइयाँ आदि बनाई जाती हैं।

 

🙏 आध्यात्मिक और सामाजिक संदेश

चित्रगुप्त पूजा हमें यह सिखाती है कि:

  • हर कर्म का फल निश्चित हैचाहे वह अच्छा हो या बुरा।
  • नैतिकता और ईमानदारी जीवन के मूल स्तंभ हैं।
  • आत्मनिरीक्षण और आत्मशुद्धि से ही मोक्ष की प्राप्ति संभव है।
  • लेखन और ज्ञान का सम्मान करना चाहिए, क्योंकि यही समाज को दिशा देता है।

 

🖋️ निष्कर्ष

चित्रगुप्त पूजा केवल कायस्थ समाज का पर्व नहीं है, बल्कि यह हर उस व्यक्ति के लिए महत्वपूर्ण है जो अपने जीवन में कर्म, न्याय और आत्मचिंतन को महत्व देता है। यह पर्व हमें याद दिलाता है कि जीवन में हर कार्य का लेखा रखा जा रहा है, और अंततः वही हमारे भविष्य का निर्धारण करेगा।