भूमिका
आज के प्रतिस्पर्धात्मक और
तेज़ गति वाले कार्य
वातावरण में मानसिक स्वास्थ्य
एक महत्वपूर्ण मुद्दा बनकर उभरा है।
लंबे कार्य घंटे, लक्ष्य का दबाव, कार्य-जीवन संतुलन की
कमी और डिजिटल अधिभार
ने कर्मचारियों के मानसिक स्वास्थ्य
को प्रभावित किया है। अच्छी
बात यह है कि
अब कंपनियाँ इस विषय को
गंभीरता से ले रही
हैं और सकारात्मक बदलाव
की दिशा में कदम
उठा रही हैं।
कंपनियों
की पहलें
1. मानसिक
स्वास्थ्य जागरूकता कार्यक्रम
कई कंपनियाँ नियमित रूप से मानसिक
स्वास्थ्य जागरूकता सत्र आयोजित कर
रही हैं, जहाँ विशेषज्ञ
कर्मचारियों को तनाव प्रबंधन,
भावनात्मक संतुलन और आत्म-देखभाल
के तरीकों के बारे में
जानकारी देते हैं।
2. काउंसलिंग
और थेरेपी सेवाएँ
कुछ
अग्रणी कंपनियाँ अपने कर्मचारियों को
मुफ्त या सब्सिडी वाली
काउंसलिंग सेवाएँ प्रदान कर रही हैं।
टेली-काउंसलिंग और ऑनलाइन थेरेपी
प्लेटफॉर्म्स के माध्यम से
यह सेवाएँ और भी सुलभ
हो गई हैं।
3. वर्क-लाइफ बैलेंस को बढ़ावा
रिपोर्ट
के अनुसार, 66% कर्मचारी कार्य संरचना के कारण अत्यधिक
बोझ महसूस करते हैं। इस
समस्या को समझते हुए
कई कंपनियाँ फ्लेक्सिबल वर्किंग ऑवर्स, वर्क फ्रॉम होम
विकल्प और चार दिवसीय
कार्य सप्ताह जैसे मॉडल अपना
रही हैं।
4. मानसिक
स्वास्थ्य को HR नीतियों में शामिल करना
मानव
संसाधन विभाग अब मानसिक स्वास्थ्य
को अपनी नीतियों का
हिस्सा बना रहे हैं।
इसमें मानसिक स्वास्थ्य अवकाश, तनाव मूल्यांकन और
नियमित फीडबैक सिस्टम शामिल हैं।
5. सहयोगी
वातावरण का निर्माण
78% कर्मचारियों
ने बताया कि सहकर्मियों और
प्रबंधन से व्यवहार संबंधी
अपेक्षाएँ मानसिक दबाव का कारण
बनती हैं। इस चुनौती
को हल करने के
लिए कंपनियाँ टीम बिल्डिंग गतिविधियाँ,
खुली बातचीत और सहानुभूतिपूर्ण नेतृत्व
को बढ़ावा दे रही हैं।
चुनौतियाँ
और आगे की राह
हालाँकि
कई कंपनियाँ प्रयास कर रही हैं,
लेकिन अभी भी एक
बड़ा वर्ग ऐसा है
जो मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता नहीं
देता। सामाजिक कलंक, जागरूकता की कमी और
संसाधनों की सीमित उपलब्धता
इस दिशा में बाधा
बनती हैं।
आवश्यक
है कि कंपनियाँ मानसिक
स्वास्थ्य को केवल CSR या
HR पहल के रूप में
न देखें, बल्कि इसे संगठनात्मक संस्कृति
का अभिन्न हिस्सा बनाएं।
निष्कर्ष
मानसिक
स्वास्थ्य अब एक व्यक्तिगत
नहीं, बल्कि सामूहिक जिम्मेदारी बन चुकी है।
कंपनियों द्वारा उठाए जा रहे
कदम सराहनीय हैं, लेकिन इस
दिशा में निरंतर प्रयास
और संवेदनशीलता की आवश्यकता है।
एक स्वस्थ कर्मचारी ही एक सफल
संगठन की नींव रखता
है।