Wednesday, May 22, 2013

कभी साहिल रही .

शुक्र है, हिम्मत मेरी , इस काबिल रही
वजूद की लड़ाई में, हमेशा शामिल रही  
अक्सर,मेरे साथ कमजोरियों,पे तनकीत है 
जिंदगी कभी मझदार, तो कभी साहिल रही  .

अंजन कुछ दिल से 

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Tuesday, April 9, 2013

साहित्यिक पत्रिका : शब्द शिल्पी में प्रकाशित मेरा एक व्यंग लेख

अतिक्रमण का  अधिकार

व्यंग लेख

हमारे संविधान के तीसरे भाग के अनुच्छेद 12 से 35 तक में मौलिक अधिकारों का उल्लेख किया गया है,  जैसे  समानता का अधिकार ,शोषण से रक्षा का अधिकार और विचारो की अभिव्यक्ति का अधिकार  आदि| कुछ और भी मन चाहे अधिकार है ,जिन्हें संविधान में जगह नही मिल पाई है जबकि हम उनका भरपूर उपयोग कर रहे है जैसे पान थूकने का अधिकार,गाली देकर बात करने का अधिकार ,सरकार को  गाहे  बगाहे कोसने का अधिकार आदि लेकिन इन सब अधिकारों के बीच एक और अधिकार है " अतिक्रमण का  अधिकार " | हमारे यहाँ के कल्लू हलवाई,गोलू चाय वाले से लेकर बड़े बड़े मंत्री,व्यापारी, संस्थानों को ये अधिकार प्राप्त है  और इसका उपयोग हमारे बजरंगी पान वाले से लेकर  पटना में गाँधी मार्ग के बब्बन सेठ तक को ये अधिकार प्राप्त है | कई बड़े जिले में तो इसका इतना उपयोग हो गया है कि विकास कार्य ही ठप हो गया है.जाम की समस्या से निजात पाने के लिए बनाये जाने वाले उड़न-पुल , ऊपरी पुल या उनके लिए बनाये जाने वाले बगली-रस्ते के लिए जगह ही नहीं मिल रही है|जगह-जगह ,अतिक्रमण की नीयत से मंदिर या मस्जिद और मजार बना दिए गए हैं|

तो फिर  इस अधिकार की ज्यादा जानकारी के लिए चलते है अपने  "कहीं भी पान थूको शहर" में| यहाँ हर वर्ग को यह अधिकार प्राप्त है  जिस भी व्यक्ति के पास अपना मकान या दुकान है वो उसके आगे खाली पड़ी जमीन जो की सरकारी है,  को अपनी अब्बा की जमीन  समझकर  कर उपयोग में लेने लगता है | किसी स्थान या अन्य रोजगार के आभाव में ठेले या खोमचे लगाये सुबह से ही  बाजारों और चौराहों में अतिक्रमण के अधिकार के प्रयोग करने लोग जुटने लगते है, जैसे मुन्ना मोची,पप्पू पानवाला,मिश्रा जी ढूध वाले आदि | कोई कही भी कैसे भी दुकान लगा ले, सब राम राज्य ही है ! आम-जन भी कम नही है अपने इस अधिकार का उपयोग करते हुये कही भी अपने दो पहिया ,चार पहिया खड़े कर गर्व महसूस करते है और व्यवस्था को गाली देते है | ये अधिकार कुछ लोग कम समय के लिए करते है और कुछ खानदानी है, अब रामू समोसे वाले की ही बात कर लो इनको बब्बा के ज़माने से ये अधिकार प्राप्त है | इसी दुकान से लडके की छठी तक पढाई,शादी और अब मकान निर्माण भी हो चुका है, पहले रामू समोसा वाला था अब रामू सेठ हो चूका है | लेकिन हमारे  कल्लू भाई ठहरे साधारण आदमी क्या करे ? तो इस अधिकार के प्रयोग के लिए अपनी और मोहल्ले की गायभैंसे सुबह  मुख्य मार्ग तक छोड़ आते है और शाम होते ही ले आते है ,इस तरह मन का संतोष हो जाता है कि  हम भी किसी से कम नही | हर तरफ जहां देखो, जिसे देखो वो  अतिक्रमण के  अधिकार  का  

 

 

फायदा ले रहा है परन्तु ये एक अनैतिक अधिकार है, जो की सबको मालूम है | इसका प्रयोग अब बीमारी की तरह हो चला है जिसका इलाज कभी कभी नगर-निगम या नगर-पालिका,पुलिस,जन-बल के साथ अभियान चला कर करती है ,पर ये उपचार कभी कभी होता है क्यों की इस बीमारी में सबका हाथ होता है नीचे से लेकर ऊपर वाले तक का | अब मान लो कभी कुछ काम ना मिला तो कभी कभी सरकारी अमला  ये भी कर लेते है 'अतिक्रमण हटाओ अभियान' वो भी  एक दिन में  पूरे शहर में तबाही मचा कर, पूरी बीमारी ठीक  | चारो तरफ शोर,कोहराम मच जाता है | जो नेता, मंत्री एवं समाजसेवी, कभी मंदिर-मस्जिद झांकने नही जाते  वो सभी एक साथ पुर जोर विरोध में लग जाते है , कि मंदिर नही हटेगा जबकि उस मंदिर के पीछे ही अनैतिक दुकाने चल रही होती है  | और….. फिर कुछ दिन बाद वही जहा का तहां

अतिक्रमण रूपी अधिकार एक महामारी की शक्ल ले चुका है इससे पहले की ये लाइलाज बीमारी बन जाए इसके लिए सरकार व आम नागरिक को अपना कर्त्तव्य समझकर इस आदत का परित्याग कर देना चाहिएअन्यथा जब सरकारी अमला डंडे की भाषा में समझाएगा तो विरोध भी काम नहीं आएगा.और सरकारनगर पालिका तथा नगर निगम को भी इस तरह की गतिविधियों पर समय रहते अंकुश लगाना चाहिए.. इसके साथ ही सरकार को सोये नहीं रहना चाहिए बल्कि जहाँ भी अतिक्रमण हो रहा हो उसे समय रहते रोके और समय समय पर सरकारी जमीन का निरिक्षण व आकलन करते रहे  ,  अभी मै निकलता  हूं , शायद मेरी कार भी बीच  रोड़ में खड़ी है 

 

विवेक अंजन श्रीवास्तव 

सरलानगर, मैहर 

9424351452

 

 

Sunday, March 10, 2013

चलो हम भी गंगा नहा आयें

चलो हम भी गंगा नहा आयें

व्यंग लेख

कल शाम रेलवे स्टेशन के बाहर महाराज जी मिल गए हमने पूछा महाराज कहाँ ? वो  बड़े  गर्व  से  बोले गंगा स्नान को जा रहे है !हमने अचरज से फिर एक प्रश्न दाग दिया ये क्या है ? जवाब आया बहुत ही काम की चीज है,जीवन धन्य हो जाएगा ! हम भी ठहरे UP के ठेठ ,हमारे मन में भी आतुरता जगी और हमने हाथ जोड़कर कहा .. श्री महाराज जी हमें गंगा स्नान के बारे में विस्तार से बताये ये कब किया जाता है? और इसके करने से क्या लाभ प्राप्त होता है? क्या इस स्नान की कोई विशेष पूजन विधि भी है? इस स्नान को करने कौन-कौन जाता है इस तरह के नम्र निवेदन के बाद महाराज जी बोले अरे आपको इतना नहीं मालूम हिंदू मान्यताओं के मुताबिक कुंभ के पवित्र स्नान से मनुष्य के सारे पाप धुल जाते हैं। यह भी कहते हैं कि कुंभ में नहाने से सौ गंगा स्नान का पुण्य मिलता है। फिर कुंभ अगर 144 साल बाद वाला खास हो तो उसके तो कहने ही क्या। निश्चित रूप से उसमें तो हर किस्म के पाप धुल ही जाते होंगे।तीर्थराज प्रयाग में स्नान, दान और यज्ञ का बड़ा महत्व है। पुराणों में कहा गया है कि गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम पर किया गया दान परलोक में या जन्म-जन्मांतर तक कई गुना होकर दानकर्ता को प्राप्त होता है। रही बात आने जाने की तो,हमारे नेता और अभिनेता, सारे के सारे अचानक जाग गए हैं। कुंभ जा रहे हैं। गंगा में नहा रहे हैं और पाप बहा रहे हैं। सास जैसे पवित्र रिश्ते को खलनायिका के अवतार में परोसनेवाली फिल्म निर्माता एकता कपूर कुंभ नहा आई। लगातार सत्ताइस किस करने के बावजूद एक सांस तक न लेनेवाले अभिनेता भी नहा आये  । इसको करने की कोई पूजन विधि तो नहीं है, आप भी लाभ उठाइए इस बार इलाहाबाद  में गंगा किनारे  महाकुंभ  मेला लगा हुआ है ,देश विदेश से लाखो करोडो लोग पहुच रहे है,सरकार ने भी काफी व्यवस्था की है, इतना कहते ही वहा पर कई लोकल भक्त जमा हो गए और गंगा स्नान का विवरण सुनने लगे.... और फिर हमने एक प्रश्न पूछा की महाराज किस तरह के पाप धुलते है इसको करने से....फिर वो थोडा दिमाक में जोर डालते हुए बोले मान्यवर..आप सुबह से शाम तक जो भी कृत्य करते है वो सभी कही न कही इसकी श्रेणी में आते है जैसे जैसे उदाहरण के लिए पराये धन-तन से प्रेम,दूसरो को परेशानी में देख मलाई खाना ,किसी अधिनस्थ के पैसो से मौज किया आदि इस तरह से मनुष्य जाने अनजाने में कई गलतियाँ और पाप करता है, जो की गंगा स्नान करने से प्रभावित नहीं करते |

अचानक एक टपोरी महराज को धक्का देकर आंगे बढ़ गया,उपरांत महाराज ने विस्वामित्री मुद्रा में लोकल और बिहारी भाषा के ह्रदय विदारक शब्दों का प्रयोग किया,और कहा गंगा मैया हमें माफ़ करना..फिर चाय वाले कि आवाज आई महराज पिछला और आज का बिल मिलाकर कुल 25  रुपये हुए.इतना सुनकर महाराज बोल पड़े अरे पिछला कब का हम तो सिर्फ आज का ही देंगे पता नहीं किसका किसका जोड़ लेते हो डरो भगवान से।      

अचानक एक सुकोमल आवाज सुनाई दी 'इटारसी से चलकर इलाहबाद को जाने वाली मेला स्पेसल गाड़ी प्लेटफॉर्म 2 पर आ रही है,तभी महाराज ने हमें अलविदा कहकर आंगे बढ़ गए..उन्हें खाली हाथ देखकर हम उत्सुकतावस बढे और पूछे महराज टिकट न लेंगे ,वो मुस्कान फेरते बोले अरे आप भी न !  अब इतने पाप धोने जा ही रहे है तो ये भी सही| हमारा दिमाक भी घूमा,गंगा स्नान का जितना जोरदार प्रचार करके उसका राजनीतिक और व्यापारिक लाभ लेने की कोशिश की जा रही है, उससे साफ लगता है कि मंशा उनकी पुण्य कमाने की तो कतई नहीं है। महाराज जी के बारे में अपन कतई नहीं जानते कि उन्होंने क्या पाप किए, सो कुंभ नहाने जाये। पाप अपने से भी हुए होंगे, पर कुंभ नहाने आज तक कभी नहीं गए। जाने में भी डर है कि नेताओ और चुम्बन गुरु के नहाए पानी में नहाने से कहीं उनके पाप अपने पर न चढ़ जाएं,लेकिन जब पूरा देश ही एक ओर कु-व्यवस्था में भेड़ चाल चल रहा है,मजे ले रहा है,तो फिर गंगा स्नान तो पुन्य का काम है क्यों  न करे ? चलो हम भी गंगा नहा आयें।  

www.kirtiprabha.com

 

विवेक अंजन श्रीवास्तव 

सरलानगर, मैहर 

 

Monday, February 4, 2013

ये दिल घबराता है...!!


जिंदगी में ऐसा मोड़ क्यों आता है...
की आगे बढ़ने से भी ये दिल घबराता है...!!

रोता रहता है कोई किसी को याद करके...
और कोई सब कुछ भूल कर नयी दुनिया बसाता है...!!

कोई कुछ नहीं कह पाता उम्र भर..
और कोई सब कुछ पल में कह जाता है...!!

बड़ी अजीब है ये सफ़र ये कहानी..
कुछ सोचते है और हो कुछ और जाता है....!!

कितना भी कह ले की भरोसा नही किसी पे...
पर सच है के बिन विश्वास कोई एक कदम ना उठाता है....!!