मेरी चुप्पी भी आवाज बनती है
आज तुम जितना चाहो बोल लो
हमें हल्का समझने भूल ना कर
चाहो तो अपनी तराजू से तौल लो
राजनीति में महारत तुमको है
कुछ मानवता के पन्ने खोल लो
जात-पात और धर्म पर कब तक
कुछ नई परिभाषाएँ भी जोड़ लो
बहुत बोलते हो एक दूसरे के खिलाफ
भाई कुछ हमारे बारे में भी बोल लो
मेरे पास तो 'वोट' ही एक ताकत है
सत्ता के लिए तो अपना मुखौटा खोल लो..