मैं सदा दूर तुमसे रहा , घूमता -
तुम खड़ी पास मुझको बुलाती रही .
मै तुम्हारा हू या नहीं मै कैसे बताता
तुम खड़ी पास मेरे मुझको बताती रही
जो था तुम्हारी,'आँखों' में नहीं समझा
तुम खड़ी पास मेरे कुछ दिखाती रही
अब है दिल की इच्छा तो क्या होगा फायदा
अंजन ने सुना नहीं , जब तक वो सुनाती रही
-- अंजन ..... कुछ दिल से