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Friday, May 15, 2009

प्यार का वादा करके मुकरना

प्यार का वादा करके मुकरना, सर क़सम अपनी आदत नहीं है।
ये है धोखा सरासर मेरी जां, ये दोस्तों की शराफ़त नहीं है॥
लाख पहलू में उनके रहो तुम, हम जो रोकें हमारी कमी है,
जैसे चाहो जिओ पूरा हक़ है, आपकी अपनी ये ज़िन्दगी है,
बस यूँ कहते रहो ए सितमगर, तुमको हमसे अदावत नहीं है।
जितना चाहो सितम ढाके देखो, मुस्कुरा के सहेंगे हर एक ग़म,
मर भी जाएँ तो बेफ़िक्र रहना, तुमको देंगे दुआएँ बहुत हम,
हमको राहे वफ़ा से डिगा दे, ज़ुल्म में इतनी ताक़त नहीं है॥
अश्क़ बहने न देंगे, ज़मीं पर, दर्द पी के भी उफ़ ना करेंगे,
सिलसिला यूँ-ही जारी रहेगा, जब तलक ना सनम हम मरेंगे,
बेवफ़ा कह सकें तुमको जानम, वक़्त की वो नज़ाकत नहीं है।

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